एक खूबसूरत एहसास है

4
एक खूबसूरत एहसास है


गुनगुनी धूप में——————
खुले बाल तेरा छत पे टहलना,
एक खूबसूरत एहसास है।
मै तकता हू एकटक तुम्हे चोर नज़र,
पता ही नही चलता कि————-
तेरे पाँव तले छत की ज़मी है,
याकि मखमली घास है।
गुनगुनी धूप में————
खुले बाल तेरा छत पे टहलना,
एक खूबसूरत एहसास है।
ये उजले से दाँत,गुलाबी से होठ,आँखो मे शर्म
और हवा से बिखरे बालो का,
अपनी नर्म-नाज़ुक सी अँगुलियो से हटाना,
ये महज चेहरा नही———-
एक खूबसूरत चाँद है।
गुनगुनी धूप में———
खुले बाल तेरा छत पे टहलना,
एक खूबसूरत एहसास है।
हर्फ-दर-हर्फ मेरे अंदर समा रही,
ये तेरी उजली ओढ़नी और सफेद सलवार,
महज तेरे बदन से लिपटी,
शरारत करती कोई सहेली नही,
बलकि मेरी गज़ल और उसके बहर की—-
एक खूबसूरत लिबास है।
गुनगुनी धूप में————-
खुले बाल तेरा छत पे टहलना,
एक खूबसूरत एहसास है।

@@@कलके रोमांटिक धूप की रोमांटिक याद जो शायद आप सबो को अच्छी लगे।

रचयिता—–रंगनाथ द्विवेदी।
जज कालोनी,मियाँपुर
जौनपुर।

कवि व् लेखक
आपको आपको  कविता   एक खूबसूरत एहसास है  कैसी लगी   | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |   

4 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here