पेट्रोलियम पदार्थों की अंधाधुंध खपत पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा

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पेट्रोलियम पदार्थों की अंधाधुंध खपत पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा

petroleum और उससे उत्पाद जैसे जादुई पिटारे से निकला जिन्न | वो जिन्न जो हर समय काम करने को तैयार रहता है परन्तु बाद  में अपने मालिक को ही खा जाता है | आज ये तुलना भले ही आपको हास्यास्पद लगे परन्तु यही सच है |और वो मालिक् जिसको ये कालांतर
में खा जाएगा वो है हमारा पर्यावरण
|हमारी धरती |जब धरती ही नहीं बचेगी तो हमारा
और आपका अस्तित्व कैसे बच सकता है
|

 पेट्रोलियम पदार्थों की अंधाधुंध खपत विश्व पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा 


वस्तुत : ये एक गंभीर मुद्दा है | जिसे विकास की अंधी दौड़ में
भागता मनुष्य नज़रंदाज़ कर देता है
| क्योंकि petroleum  और उसके उत्पाद विकास का पर्याय हैं | वो विकास जो हवाई जहाज और ऑटो
मोबाइल के धुएं के साथ आगे बढ़ता है
| और ये धुआं कब विकास को विनाश में बदल
देता है
, पता ही
नहीं चलता
| बेचैनी तब शुरू होती है जब ये जहरीली गैसें जो साँस के मार्फ़त हमारे शरीर में जाकर हमारी साँसों को ही थामने लगती
है | 

अगर समय रहते हमने इस समस्या पर उसका ध्यान नहीं दिया तो  अंजाम क्या होगा ?

 इस तो के उत्तर में मुझे हॉलीवुड की
फिल्म इंटर स्टेलर याद आ जाती है
| जहाँ पृथ्वी की आगामी परिस्तिथियों का
पूर्वानुमान है
| जहाँ
लोगों का दम घुट रहा है
|क्योंकि
वो ऑक्सीजन  की कमी में सांस लेने को विवश हैं
| एक एक सांस के लिए तडपते लोग , बड़ा भयावाह मंजर था | पर दुखद ये है कि हम निश्चित तौर पर किसी ऐसे भविष्य की
और बढ़ रहे हैं
|

दूर
क्यों जाए अभी पिछले वर्ष ही बीजिंग में धुएं और कोहरे की वजह से ऑटोमोबाइल और
चिमनियों से निकली हानिकारक गैसों ट्रैप हो गयी
लोगों का साँस लेना मुश्किल हो गया दम घुटने लगा | आनन् फानन सरकार को रेड अलर्ट जारी
करना पड़ा
| सभी
फेक्टरियाँ
, स्कूल कॉलेज , कार्यालय बंद किये गए | यातायात प्रतिबंधित कर दिया गया
| लोग घरों
में कैद हो गए
| इस
भागीरथी प्रयास के बाद लोगों को साँस लेने लायक हवा मिल सकी
| पर ये केवल चाइना का मामला नहीं
है
| हमारे
देश की राजधानी दिल्ली की हवा प्रदुषण मानकों पर विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित
अवस्था में है
| या यूँ
कहिये दम घुटने की बॉर्डर लाइन पर है
| क्या हम एक धीमी मौत की तरफ बढ़ रहे
हैं
?अभी दीपावली के बाद का हाल किसी से छुपा नहीं है | पर दिल्ली वाले ही जानते हैं आँखों में जलन , सांस लेने में दिक्कत और कम दृश्यता भरे वो दिन कितनी मुश्किल से कटे  थे | जहरीली गैसों से युक्त ये स्मॉग जानलेवा था | 

पेट्रोलियम पदार्थों का स्वास्थ्य पर है बुरा असर 


अब
जरा डाक्टरों की राय भी सुन लीजिये
| पेट्रोलियम 
 की वेपर्स को सांस के साथ ग्रहण करने से नर्वस सिस्टम व्
रेस्पिरेटरी सिस्टम के रोग हो सकते हैं
| अगर मात्र थोड़ी है तो चक्कर , उनींदापन , भूख न लगना  , सिरदर्द उलटी आदि की शिकायत हो
सकती है परन्तु अधिक मात्र में तो कोमा व् मृत्यु भी हो सकती है
| तरल; अवस्था में पेट्रोलियम पदार्थ
जब त्वचा के संपर्क में आते हैं तो वो त्वचा में जलन उत्पन्न करते हैं
| कुछ मात्र में त्वचा द्वरा
अवशोषित होकर अनेकानेक हानियाँ पहुंचाते हैं
| गैसोलीन जो की बेंजीन प्रदुक्ट है
कैंसर का प्रमुख कारक है
| जो मुख्य
रूप से त्वचा व् रक्त कैंसर उत्पन्नं करता है
|

ये सब
मैं आपको डराने के लिए नहीं बता रहा
| मेरा यह बताने का उद्देश्य महज इतना
है की हम सचेत हो जाए व् पेट्रोल और पेट्रोलियम उत्पादों का कम से कम प्रयोग करें
जिससे हन्मारा पर्यावरण कम प्रदूषित हो और हम सब बेहतर स्वास्थ्य का मजा लें
| यहाँ मैं कुछ जरूरी बातें बताना
चाहता हूँ जिससे हम पेट्रोल के इसतेमाल में कटौती कर सकते हैं
|

पेट्रोल बचाने के उपाय 


जैसा
की हम सब जानते हैं की
71
%
पेट्रोल ऑटोमोबाइल में इस्तेमाल होता है | अत : हम स्वयं व्यातायात  व्यवस्था में थोडा सा परिवर्तन कर  पेट्रोल बचा सकते हैं …….

* अपनी गाडी का कम प्रयोग करें | जहाँ बहुत जरूरी न हो वहां कार
पूलिंग या सार्वजानिक यातायात के साधनों का प्रोग करें
| आप  को पिछले वर्ष  की दिल्ली की औडईवन
परियोजना जरूर याद आई होगी
| हालांकि
यह एक प्रयोग था पर प्रयोग बेहद सफल रहा
| ऐसा आंकड़े बताते हैं |
* पैदल चले | निकट की दूरी के लिए कार , स्कूटर की नबाबी न दिखा कर
ज्यादा से ज्यादा पैदल या सायकिल से चलें
| यह खुद के व् प्रयावरण के स्वास्थ्य
के लिए बेहतर विकल्प है
| मैं आपको
याद दिलाना चाहूँगा इस समस्या से निपटने के लिए चाइना में सायकिल का बहुतायत से
प्रयोग होने लगा है
|

*
अपनी
गाडी का पॉल्यूशन  सर्टिफिकेट लें
| व् ध्यान रखे वो ज्यादा धुआं न छोड़ रही हो |

* मेरा देश , मेरा प्रदेश और मेरा शहर | सामान खरीदते समय स्वदेशी की
भावना अपनाएं
| ज्यादातर
सामान अपने शहर की लोकल मार्किट में बना हुआ खरीदे
| जिससे दुसरे शर से उसे लाने में
पेट्रोल न खर्च हो
| आयातित
वस्तुओं से जरा परहेज करें
|

* प्लास्टिक का बहिष्कार करें | प्लास्टिक एक पेट्रोलियम उत्पाद
है और बायो डिगरेडेबल  भी नहीं
| बाज़ार जाते समय साथ में कपडे का थैला ले जाए |क्या आप इस तथ्य से अवगत हैं की
गायों व् पशुओं की मौत की जिम्मेदार प्लास्टिक थैलियाँ अपने रंग में इतेमाल किये
जाने वाले केमिकल की वजह से नदियों व् धरती पर प्रदुषण फैला कर हमें भी मार रही
हैं
|
* प्राकतिक धागों से बने वस्त्र ही पहने
| नायलन , पौलिस्टर के कपड़ों को बाय बाय
कीजिये
| कड़ी , सूती रेशमी ऊनी कपड़ों को ही
पहनिए
| हाँ यथा
संभव रेशमी कपड़ों का भी परहेज करे क्योंकि वो धागे जो आप को खुबसूरत  बनाते हैं बड़ी
ही निर्ममता से प्राप्त किये जाते हैं
|
* जीवन को रंगना जरूरी है पर क्रेयोंस
से नहीं
| मधुमक्खी
की वसा का प्रयोग करें
|
* डीयो, परफ्यूम  , सेंट  को करे बाय बाय |
* पेट्रोलियम के स्थान पर सोया के आधार
पर बनी स्याही का इस्तेमाल करें
|
* ऊर्जा के अन्य विकल्पों को अपनाएं |
अब तो आप
पेट्रोलियम बचाने के तरीके जान ही गए हैं
| बस इस पर आज से ही अमल शुरू कर दीजिये
और देश के वातावरण को स्वस्थ बनाइये
|

आओ
बचाएँ हम सब तेल

चले
स्वास्थ्य की झटपट रेल

बाबूलाल 


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