वाणी-वंदना

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वाणी-वंदना



                                         यूँ तो पतझड़ के बाद वसंत के आगमन पर जब वसुंधरा फिर से नव- श्रृंगार करती है तो सारा वातावरण ही  एक अनूठी शोभा से युक्त हो जाता है | ऋतुओं में श्रेष्ठ वसंत ऋतु  का सबसे उत्तम दिन है वसंत पंचमी |  वसंत पंचमी हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार माघ मास  के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की मनाया जाता है |मान्यता है की वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का प्राकट्य  हुआ था , जिन्होंने जीव -जंतुओं को वाणी प्रदान की | माता सरस्वती को ज्ञान विज्ञान, संगीत , कला और बुद्धि की देवी भी माना जाता है |माता के जन्म के उत्सव में उनके प्रति श्रद्धा व् आभार प्रगट करने के लिए वसंत पंचमी का उत्सव मनाया जाता है | आइये हम सब उनकी स्तुति करें | 




माँ सरस्वती की वाणी-वंदना 







जय वीणा – पाणि पुस्तक धारिणि
जय श्वेत वसनि अक्षर कारणि
जय ब्रम्ह -सुता , कवि – कुल मंडन
जय – जय अज्ञान तिमिर भंजन


जय प्रखर प्रज्ज्वलित ज्ञान – ज्योत
साहित्य – सृजन प्रेरणा स्रोत
जय हे शारदे कमल आसनि
आध्यात्म – पुंज उर भ्रम नाशिनि


इस आत्म – दीप मन – चन्दन से
अर्चन वन्दन स्वीकार करो
इस प्राण – पियाले में रक्खे
कुछ भाव – पुष्प स्वीकार करो


उषा अवस्थी 


कवियत्री व् लेखिका





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