गुटखे की लत

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गुटखे की  लत

      

                 गुटखे की लत वो लत है जिसमें आदमी स्वयं तो अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करता ही है पर उसकी गिरफ्त में उसकी निर्दोष पत्नी व् मासूम बच्चे भी आ जाते हैं |एक ऐसी ही कहानी जिसमें एक मासों पत्नी ने पति की “गुटखे की लत ” की सजा को ताउम्र झेला |

कहानी -गुटखे की  लत


  खिड़की के किनारे खड़ी सुमन अपनी उन पुरानी बातों को सोच रही थी जो वो अक्सर  राहुल को समझाने के तौर पर उससे कहती थी।
      सुमन की ज़िन्दगी एक ऐसे व्यक्ति के साथ बीत रही थी जिस पर उसकी कही बात का कुछ भी असर नहीं होता था |शादी के समय से ही कितना मनाकरती थी राहुल को कि , पान मसाला , गुटखा छोड़ दो , लेकिन मज़ाल क्या …ये लत् उसकी ज़िन्दगी से ऐसी चिपकी कि आज तक नहीं छूटी थी ….
ट्रिन….ट्रिन …अचानक बाहर की डोर बैल की आवाज ने उसका ध्यान भंग किया था  बाहर देखा तो काम वाली बाई खड़ी थी …. उसने दरवाज़ा खोला ही था कि , कमरे से खांसने की आवाज़ पर चौक गयी थी  उसके पैर कमरे की ओर बढ़ चले थे  
            राहुल बिस्तर पर लेटा था   गुटखे  की आदत आज अपना रंग दिखा रही थी ….सुमन पलंग के पास खड़ी सोच रही थी ..

डॉशरद ने साफ- साफ चेताबनी दे दी थी कि अगर राहुल ने गुटखा अभी नही छोड़ा तो परिणाम घातक हो सकते हैं ..

“ सुमन ..!“  राहुल ने सुमन को पास खड़े देख कर पुकारा ..
“ हाँ ..राहुल ..! बोलो , तुम कुछ कहना चाहते हो “ सुमन ने राहुल के बालों में हाथ फेरते हुऐ पूछा..
“ सुमन ! मैंने तुम्हारी बात ..
खुल्ह..खुल्ह……पहले मान ली होती ..तो शायद ..खुल्हखुल्ह .. राहुल बेतहाशा खांसते हुए बोलने की चेष्टा कर रहा था ..
“ राहुल ..! कुछ मत बोलो .प्लीज़ ..! “ सुमन ने उसकी पीठ को सहलाते हुए कहा था  
 राहुल आज महसूस कर रहा था अपनी ग़लती को ..तो सब कुछ कह देना चाहता था सुमन से … उसकी आँखों के कोर से कुछ गरम –गरम बह निकला था ..
    ईश्वर ने उसकी झोली में बच्चे भी तो नहीं डाले थे एक बच्चा भी होता तो शायद सुमन की चिन्ता आज उसको  व्याप्ती … लेटे हुए अपनी बन्द आँखों मेंराहुल अपने अतीत को ढूँढने  निकल चुका था ..
 “ सुमन ! आज लेडी डॉअन्जुमन के पास जाना है तुमको अपने चेकअप के लिए .. याद है या भूल गयी “ 
“ अरे ! याद है राहुल ! कितनी बार मेरा टैस्ट करवाओगे तुम “ किस तरह सुमन ने मुझसे कहा था कितना विश्वास था उसको अपने मातृप्त पर 
“ क्यों नही कराऊँगा ? बच्चा तो तुम्हें ही पैदा करना है मुझे नहीं “…. और , ये कह कर मैं कितना हँसा था …. कितना ग़लत था मैं ! ..उसको मेरी हँसी शायद कहीं चुभ गयी थी तुरन्त किस तरह बोली थी ..
राहुल ! बच्चा सिर्फ एक ही व्यक्ति नही पैदा करता , उसमें दोनों का स्वस्थ होना ज़रूरी है मेरी रिपोर्ट हमेशा सही आती है ..तुम अपना चेकअप क्यों नहींकराते राहुल ? “ 
मुझे  जाने उसकी किस बात का बुरा लगा था ,हो सकता है शायद अपनी मर्दानगी  को लेकर 

 मैंने तुरन्त उसकी बात काट दी थी और गुस्से में ही कहा था ..
“ क्या मैं नामर्द हूँ जो मेरे चेकअप की राय दे रही हो” 

सुमन चुप हो गयी थी आगे कुछ  बोली थी 
          दिन बीत रहे थे हम दोनों के बीच एक ठंडापन सा रहने लगा था   उसके कहने से मैंने गुटखा छोड़ा था और  ही उसके कहने से अपना चेकअप कराया था लेकिन अब जब मुझे कैन्सर की शिकायत हुयी तब एक दिन डॉने बातों बातों में पूछा था ..”कोई औलाद है क्या.?”
मैंने कहा था “ नहीं” 
क्यों ..? की नहीं या हुई नही “ डॉने फिर से पूछा था..
“ पत्नी की रिपोर्ट तो ठीक आती थी फिर भी कोई बच्चा नही हुआ डॉक्टर साहब “ मैंने जैसे ही कहा वो तुरन्त  बोले थे ….
“ क्या तुमने अपना चेकअप नही कराया था ..? तुममें भी तो कमी हो सकती है “ 
“ मुझमें….?”किस तरह आश्चर्य व्यक्त किया था मैंने
“ हाँ..राहुल .! मर्द को हमेशा औरत में ही कमी लगती है वो भूल जाता है कि बच्चा एक नही दोंनो के सन्सर्ग से पैदा होता है …और ये गुटखा कितने समय सेखा रहे हो तुम ? तुरन्त डॉने मेरी ओर देख कर पूछा था 
“ करीब दस सालों से “ और , मैंने ये कह कर नज़रें झुका लीं थीं
किस तरह अगले दिन डॉने मेरा चेकअप कराया था और , तीसरे दिन रिपोर्ट साफ दर्शा रही थी कि मैं सुमन को बच्चे का सुख नहीं दे सकता था  
    कारण पूछने पर मालूम हुआ था कि तंबाकू की मात्रा बॉडी में इतनी बढ़ चुकी होती है कि वो गुटखा मुंह संबंधी बीमारियों को बुलावा तो देता ही हैपर सेक्सहार्मोन पर इसका सबसे ज्यादा निगेटिव प्रभाव  पड़ता है , जिससे प्रजनन क्षमता समाप्त हो जाती है और आपको नपुंसक बना देती है  


   मैं किस तरह बेचैन हो उठा था …काश .! मुझे सुमन की बात बहुत पहले मान लेनी चाहिए थी  मेरी गुटके की आदत ने मेरा सब कुछ  छीन लिया  
ये सोचते –सोचते राहुल सिसक उठा था …. 
पास में बैठी सुमन ने देखा तो अन्दर ही अन्दर बिखर उठी थी वो अपनी भावनाओं को  पति के सामने दिखा कर उसको और कमज़ोर नही करना चाहती थी  
“  .. ये क्या राहुल …? तुम तो कभी इतने कमज़ोर  थे  हम दोनों मिल कर लड़ेगें राहुल ..थोड़ा तुम हिम्मत रखना थोड़ा मैं हौसला रखुंगी “  
      उसके माथे को चूम कर सुमन जैसे ही जाने लगी थी राहुल ने कस कर हाथ थाम लिया था सुमन का और अपने पास फिर से बैठने का इशारा करके बोलाथा ..
“ सुमन …मुझे मॉफ कर दो ..और ….और…..
“ और , क्या राहुल ? तुम्हारी सुबह हो चुकी है राहुल !         मैंने डॉसे बात की है , सब ठीक होगा ..चलो , अब आराम करो ..” सुमन ने थपथपा कर उसको चादर उढा़ते हुए कहा और दूसरे कमरे में जाकर फूटफूट कर रो पड़ी थी  
      आज दो साल हो चुके थे  सुमन की अथक सेवा और राहुल के आत्म विश्वास को देखकर डॉक्टर भी हैरान थे  कहते हैं  ! बीमार इन्सान में अगर जीनेकी चाहत हो , तो बीमारी भी डर कर भाग जाती है …..
           सुमन और राहुल आज खुश थे और नॉर्मल ज़िन्दगी जी रहे थे  आज ..! राहुल ने अपने घर के बाहर एक स्लोगन लिख कर टांग दिया था “

“ गुटखा बन्द कराएं , जीवन को बचाएं “                    

                  ( कुसुम पालीवाल , नोयडा )

लेखिका


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                                                 तुम्हारे बिना

 
लेखिका  का परिचय –
नाम–कुसुम पालीवाल
जन्म –2जनवरी 1961
जन्म स्थान –आगरा,उ.प्र
स्थाई निवास -नोयडा , उ.प्र
kusum.paliwal@icloud.com
शिक्षा –एम . ए .हिन्दी साहित्य
कॉलेज ,आगरा कॉलेज ,आगरा ,उ.प्र
प्रथम काव्य संग्रह –” अस्तित्व ”
2017 में (प्रकाशन -ए.पी.एन पब्लिकेशन्स , दिल्ली से )
बुक का विमोचन -प्रगति मैदान ,दिल्ली , विश्व पुस्तक मेला , दिल्ली में
द्वितीय काव्य संग्रह “ अन्तस् से “ 2018 में , वनिका पब्लिकेशन्स से
तृतीय काव्य संग्रह “ कुछ कहना है “
2018 में , वनिका पब्लिकेशन्स से , दोनों ही संग्रह का विमोचन बुक फेयर , प्रगति मैदान , दिल्ली में ही
समय समय पर पत्र -पत्रिकाओं में रचनाओं का लगातार निकलते रहना ।

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फोटो क्रेडिट –डेली हंट

5 COMMENTS

  1. चिंतन करती है ये कहानी … क्यों और कैसे इंसान अपनी आदत का गुलाम हो जाता है और देख नहीं पता …
    गुटखे की बुराइयां अनेक हैं … इंसान को समय पे जागना होगा …

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