ब्यूटी विथ ब्रेन – एक जेंडर बायस कॉम्प्लीमेंट

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ब्यूटी विथ ब्रेन - एक जेंडर बायस कॉम्प्लीमेंट

ब्यूटी विथ ब्रेन …. स्त्रियों को दिया जाने वाला एक आम कॉम्प्लीमेंट है जिसे बहुत ख़ास माना जाता है | जिला स्तर की राष्ट्रीय,  अंतर्राष्ट्रीय जितनी भी सौदर्य प्रतियोगिताएं होती हैं उसमें चयन का आधार ब्यूटी विथ ब्रेन होता है | फिर भी ये कॉम्प्लीमेंट आज  बहुत जेंडर बायस  समझा जाने लगा है और स्त्रियाँ स्वयं इसे नकार रहीं है , क्योंकि  ये घोषणा करता है कि औरतों में दो चीजें एक साथ नहीं हो सकती , ये एक “रेयर कॉम्बिनेशन”  है … वे या तो खूबसूरत हो सकती हैं या बुद्धिमान हो सकती हैं | जबकि सुन्दरता का बुद्धिमानी और मूर्खता  कोई संबंद्ध नहीं है |

ब्यूटी विथ ब्रेन – एक जेंडर बायस कॉम्प्लीमेंट 

जब किसी स्त्री को ये कॉम्प्लीमेंट मिलता है तो इसका मतलब ये भी होता है कि आम औरतें तो मूर्ख  होती हैं , आप खास हो क्योंकि आपके पास दिमाग भी है , और क्योंकि इसमें ब्यूटी पहले आती है , जो समाज द्वारा महिलाओं को देखने के नज़रिए को स्पष्ट करती है …. वो बहुत खूबसूरत है और बुद्धिमान भी है | इस बात के दो अर्थ निकलते हैं ….

१ ) ख़ूबसूरती वो पहली चीज है जिस पर मेरा ध्यान गया |
2) ये तो बहुत ही आश्चर्यजनक है कि आपके पास सुन्दरता और बुद्धि दोनों है |

जबकि वहीँ कोई पुरुष होगा तो कहा  जाएगा , ” वो बहुत बुद्धिमान है जबकि देखने में भी अच्छा है | क्या पुरुष ये बर्दाश्त कर पायेंगे कि उनके गुणों के ऊपर उनकी सुन्दरता को रखा जाए | ” वाह , कितना हैण्डसम है और जीनियस भी |

जानिये पुरुषों का नजरिया 

हालाँकि Ed Caruthers जो एक प्रसिद्द physicist हैं इस बात का खंडन करते हैं …. वो कहते हैं कि ये महिला पर निर्भर करता है कि वो अपने को किस तरह से पेश किये जाना पसंद करती है |  ये दोनों चीजे जेनेटिक है | वो उदाहरण देते हैं कि अगर एक लड़की जो जो ६ साल की है दूसरी ६ साल की लड़की के बराबर बुद्धिमान व् सुन्दर है परन्तु आने वाले समय में पहली लड़की अपनी सुदरता पर मेहनत करती है और दूसरी अपने दिमाग पर तो दस साल बाद एक लड़की ज्यादा सुंदर होगी व् दूसरी ज्यादा बुद्धिमान | ये अंतर उनके खुद अपना उस तरीके से विकास करने से आया | जो दोनों तरीके से विकास कर लेती है वो तो रेयर ही होंगीं

१७६० में विश्व प्रसिद्द दार्शनिक ब्रुक ने लिखा  था , ” सुन्दरता बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वो मन के ऊपर पहला असर डालती है | बुद्धिमानी भी अगर साथ में हो तो बेहतर है | आश्चर्य है कि १७६० में स्त्रियों को देखने का नजरिया आज भी कायम है |

अपनी बात को समझाने के लिए IIT से  इंजीनीयर महेश निगम जी कहते हैं  कि  स्त्रियों का खूबसूरत होना भी रेयर ही है | हमारे आस -पास की स्त्रियों में केवल ५ % स्त्रियाँ ही खूबसूरत होती हैं | अगर आप बुद्धिमान स्त्री हैं तो ये भी ५ % होती हैं …. अगर ये दोनों हैं तो आप वास्तव में रेयर हैं |

आंकड़ों में बात करने वाले महेश जी, Ed Caruthers और ब्रुक ये क्यों नहीं बताते कि ये आंकड़े पुरुषों के लिए क्यों नहीं हैं |

क्या है युवा लड़कियों का नजरिया 


                             दिल्ली की नताशा कहती है कि उनके माता -पिता उनके लिए लड़का देख रहे थे | उन्होंने नताशा को इजाज़त दी कि वो लड़के से मिले व् बात करे ताकि वैचारिक समानता का पता चल सके | नताशा जब पहली बार लड़के से मिली तो उसने नताशा की तारीफ़ करते हुए कहा ,” आप दूसरी  लड़कियों से अलग हो क्योंकि आप ” ब्यूटी विथ ब्रेन हो “| घर आ कर नताशा बहुत देर तक इस बारे में सोचती रही फिर उसने उस लड़के से शादी न करने का फैसला लिया | पूछे जाने पर नताशा कहती है कि भले ही वो मेरी तारीफ़ कर रहा हो पर उसका और औरतों को देखने का नजरिया ठीक नहीं है वो आम औरतों को मूर्ख समझता है | ये एक पुरुषवादी मानसिकता है जो आम औरतों को पुरुषों से कमतर आंकती है | शादी के बाद क्या गारंटी है कि वो मुझे भी इसी नज़र से नहीं देखेगा | मुझे  ऐसे जीवनसाथी की जरूरत नहीं है जिसे लैंगिक समानता में विश्वास न हो |

                        समाज को बदलने की दिशा में युवा पीढ़ी की ये नयी सोच है | जबकि पुरानी सोच पर मोहर लगाते हुए  मीडिया में ऐसे विज्ञापनों की भरमार है जहाँ औरत की सुन्दरता को पहले रखा गया है | एक उदहारण फेयर एंड लवली का है | जो महिला हर इंटरव्यू में रिजेक्ट हो रही थी उसने फिर एंड लवली लगायी | गोरी होकर सामजिक मान्यताओं की दृष्टि में खूबसूरत हो गयी और वो इंटरव्यू में सेलेक्ट हो गयी | सवाल ये है कि क्या सुन्दर होने से उसके ज्ञान में वृद्धि हो गयी ?

वहीँ इसके विपरीत दूसरा उदाहरण जो मैंने निजी जिंदगी  में देखा है ,  एक युवा लड़की जो देखने में बहुत सुंदर थी  उसे व् उसकी सहेलियों को इंटरव्यू देने जाना था |  जब वो पढ़ती तो उसकी सहेलियाँ कहतीं , ” अरे तेरा तो सेलेक्शन हो ही जाएगा …. तुझे तो देखते ही ले लेंगे | बार -बार ये सुन कर वो लड़की दवाब में आ गयी , उसे उसे अपनी सुन्दरता में एक लिजलिजेपन का अहसास हुआ | आत्मविश्वास गड़बड़ाया और वो इंटरव्यू में रीएजेक्ट हो गयी | सच्चाई ये भी है कि अक्सर सुंदर औरतों के गुणों के प्रति समाज का दृष्टिकोण अच्छा नहीं होता | उनके खुद के गुण उनकी सुन्दरता के आगे दब जाते हैं |

 इससे पहले भी मैं इम्पोस्टर सिंड्रोम के बारे में लिख चुकी हूँ | जिसमें प्रतिभाशाली सुंदर स्त्रियों को यह भय होता है कि उनको सफलता उनकी सुन्दरता की वजह से मिल रही है, वो एक दिन पकड़ी जायेंगी  | जिस कारण वो दुगुनी -तिगुनी मेहनत करती हैं | सुप्रसिद्ध लेखिका माया एंजिलो भी इस सिंड्रोम की शिकार थीं | औरतों के दिमाग की कंडिशनिंग ऐसी कर दी गयी है | ख़ूबसूरती को ऊपर रखने की पुरुष वादी सोच का परिणाम महिलाएं किस तरह भुगतती हैं ये इसका दुखद उदाहरण है |

यहाँ भी ये सवाल उठता है कि क्या स्त्री के ज्ञान की कोई कीमत नहीं है उसे शक्ल देखकर ही चुना जाता है ? अगर किसी कंपनी के मार्केटिंग और सेल्स डिपार्टमेंट की बात करें तो वहां अक्सर सुन्दर लोग ही चुने जाते  हैं पर चयन का आधार सिर्फ सुन्दरता नहीं होती | आत्मविश्वास , दूसरों को पानी बात से कनविंस कर लेने की क्षमता , तुरंत बात बनाने का हुनर और सबसे ऊपर क्लायंट या माल बिक्री की क्षमता  ही चयन का आधार हैं | इंटरव्यू में फर्स्ट अपेरियंस के कुछ नंबर जरूर होते हों पर चयन का आधार यही गुण होते हैं |

                       फ़िल्मी नायिकाओं को मुख्य रूप से उनकी सुन्दरता के लिए सराहा जाता है पर क्या अगर वो अभिनय अच्छा न करें तो भी वो फिल्म इंडस्ट्री में टिकी रहेंगी | एक आध अपवादों को छोड़ कर उत्तर ना है | इस इंडस्ट्री में भी वही  टिकती हैं जिनमें प्रतिभा है |

किसकी  तारीफ़ पहले हो 

                           जब भी कोई स्त्री कोई प्रतिभा कोई हुनर कोई ज्ञान बहुत मेहनत से अर्जित करती है तो उसके लिए उसकी तारीफ़ सुनना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है | जहाँ ब्यूटी शब्द में केवल शारीरिक सुन्दरता आती है  वहीँ ब्रेन शब्द में उसका ज्ञान , विचार , आत्मविश्वास , प्रतिभा , हुनर आदि आते हैं जिनका दायरा बहुत विस्तृत हैं | वैसे भी शारीरिक सुन्दरता देखने वालों की आँखों में होती है | किसी को बहुत खूबसूरत लगने वाली महिला किसी को सामान्य या बदसूरत भी लग सकती है |  आज जब स्त्री प्रतिभाशाली है तो स्त्री को देखने का नजरिया अभी भी सुन्दरता ही क्यों हो |

                   आज स्त्री अपनी प्रतिभा , हुनर की प्रशंसा चाहती है | नया जमाना है | समय आ गया है कि पुराने जेंडर बायस कॉम्प्लीमेंट  छोड़े जाये | जो महिला प्रतिभावान है , हुनरमंद है पहले उसके गुणों की प्रशंसा हो फिर शारीरिक सुन्दरता की ….. जैसा की पुरुषों की दुनिया में हमेशा से होता आया है |

वंदना बाजपेयी

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3 COMMENTS

  1. सारगर्भित आलेख। समय के साथ समाज की सोच स्त्रियों के प्रति बदलेगी तभी इन पूर्वाग्रहों से मुक्ति मिलेगी
    बहुत बधाई

  2. सारगर्भित आलेख समाज का नजरिया बदल जाए
    स्त्रियों के प्रति इसी आशा के साथ आपका सादर
    आभार 🙏

  3. वा…व्व…वंदना दी,बहुत ही ऊँचे दर्जे की बात कही आपने। जो महिला प्रतिभावान हैं पहले उसके प्रतिभा की बात हो बाद में सुंदरता की। बहुत खुब।

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