दो चाकों के बीच

दो चाकों के बीच

औरत हूँ मगर सूरत-ए-कोहसार खड़ी हूँ इक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सब से लड़ी हूँ वो मुझ से सितारों का पता पूछ रहा है पत्थर की तरह जिस की अँगूठी में जड़ी हूँ फरहत जाहिद युवा कवि-कथाकार रेखा भारती मिश्रा के श्वेतवर्णा प्रकाशन से हालिया प्रकाशित कहानी संग्रह “दो चाकों के बीच का कवर … Read more

Share on Social Media

सुर्ख लाल रंग-गंभीर सरोकारों से जुड़ी कहानियाँ

सुर्ख लाल रंग -गंभीर सरोकारों से जुड़ी कहानियाँ

ज़िंदगी की पगडंडी पर हमारे पाँवों में न जाने कितनी फाँसे चुभती हैं। कुछ लगातार गड़ती रहती हैं, कुछ की चुभन कम हो जाती है और कुछ को इतना आत्मसात हो जाती हैं कि खून में किसी सोये हुए वायरस की तरह बहती रहती हैं। एक कथाकार का उद्देश्य इन्हीं फाँसों को दिखाना है। कहीं … Read more

Share on Social Media

“वो फ़ोन कॉल” एक पाठकीय टिप्पणी

“वो फ़ोन कॉल” एक पाठकीय टिप्पणी

  कुछ घटनाएँ हमारे जीवन में इस प्रकार घटती हैं कि हमें यह लगने लगता है कि बस ये घटना ना घटी होती तो क्या होता? हमें “संसार” सरल दिखता ज़रूर है लेकिन होता बिल्कुल नहीं; इसलिए अकस्मात जहाँ आकर हमारी सोच थिर जाती है, उसके आगे से संसार अपना रूप दिखाना शुरू करता है। … Read more

Share on Social Media

अंतर्ध्वनि-हमारे समकाल को दर्शाती सुंदर सरस कुंडलियाँ

अंतर्ध्वनि

लय, धुन, मात्रा भाव जो, लिए चले है साथ दोहा रोला मिल करें, छंद कुंडली नाद छंद कुंडली नाद, लगे है मीठा प्यारा सब छंदों के बीच, अतुल, अनुपम वो न्यारा ज्यों शहद संग नीम, स्वाद को करती गुन-गुन जटिल विषय रसवंत, करे छंदों की लय धुन वंदना बाजपेयी दोहा और रोला से मिलकर बने, … Read more

Share on Social Media
error: Content is protected !!