दो चाकों के बीच
औरत हूँ मगर सूरत-ए-कोहसार खड़ी हूँ इक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सब से लड़ी हूँ वो मुझ से सितारों का पता पूछ रहा है पत्थर की तरह जिस की अँगूठी में जड़ी हूँ फरहत जाहिद युवा कवि-कथाकार रेखा भारती मिश्रा के श्वेतवर्णा प्रकाशन से हालिया प्रकाशित कहानी संग्रह “दो चाकों के बीच का कवर … Read more