अटल रहे सुहाग : ,किरण सिंह की कवितायें

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                      करवाचौथ पर विशेष ” अटल रहे सुहाग ” में  आइये आज पढ़ते हैं किरण सिंह की कवितायें ……..
आसमाँ से चाँद

आसमाँ से चाँद फिर
लगा रहा है कक्षा
देना है आज हमें
धैर्य की परीक्षा

सोलह श्रॄंगार कर

व्रत उपवास कर


दूंगी मैं  तुझे अर्घ्य
मेरी माँग पूरी कर

उग आना जल्द आज
प्रेम का साक्षी बन
बड़ी हठी हैं हम
तोड़ूंगी नहीं प्रण
अखंड सौभाग्य रहे
तू आराध्य रहे
परीक्षा में पास कर
हे चंदा पाप हर







अटल रहे सुहाग हमारा 
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सुनो प्रार्थना चांद गगन के
रूप तेरा नभ में यूं चमके
बिखरे चांदनी छटा धरा पर
माँग सिंदूर सदा ही दमके
पूजन करे संसार तुम्हारा
अटल रहे………………….

तू है साक्षी मेरे प्रेम की
दिया जलाई नित्य नेह की
अर्घ्य चढ़ाऊंगी मैं तुझको
करो कामना पूरी मन की
जग में हो तेरा जयकारा
अटल रहे………………….
पति प्रेम जीवन भर पाऊँ
सदा सुहागन मैं कहलाऊँ
सोलह श्रृंगार कर मांग भरे पिया
जब मैं इस दुनियां से जाऊँ
पुष्प बरसाए सितारा
अटल रहे…………………
भूखी प्यासी मैं रही हूँ
शीत तपन को मैं सही हूँ
चन्द्र दया कर उगो शीघ्र नभ
क्षमा करना यदि गलत कही हूँ
मेरा पति है तुझसे प्यारा
अटल रहे…………………
किरण सिंह .

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