नारी सम्मान

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मॉल में रामायण का मंचन चल रहा था । चलते चलते सीता की राह में एक बडा पत्थर आ गया तो राम ने आगे बढकर लात मारकर पत्थर को रास्ते से हटा दिया । पत्थर पैर लगते ही औरत के रूप में बदल गया । औरत ने अंगडाई ली , कमर सीधी किया और रास्ता छोडकर जंगल की तरफ चल दी ।
लक्ष्मण को बहुत गुस्सा आया वो चिल्लाकर बोले ” एहसानफरामोश औरत तुम श्रीराम के कारण जड से चेतन अवस्था में आई क्या तुम्हें इसके लिए धन्यवाद कहना उचित नहीं लगा । ”

औरत पलटकर बोली ” श्रीराम तो भगवान है मैं चेतन से जड क्यों बनी क्या इन्हें नहीं पता । इन्होंने तो अपनी गलती सुधारी है बस । धन्यवाद तो इन्हें मेरा करना चाहिए , ये मेरे कारण देवकुल द्वारा किए गए अन्याय के आरोप से मुक्त हुए हैं । ”
उपस्थित भीड डाऊं डाऊं चिल्लाते हुए खाली पानी की बोतलें फेकने लगी “ये गलत है तुलसीदास ने ऐसा कुछ नहीं कहा रामायण में ।”
तभी एक यो यो टाइप का लटकती जीन्स को संभालता लडका सामने आया और बोला ” ये प्ले मैंने लिखा है तुलसीदास ने नहीं । मुझे नहीं पता रामायण में क्या लिखा है लेकिन नारी सम्मान क्या होता है इतनी तो समझ है । ”
कुमार गौरव 

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