बोलती का नाम गाड़ी

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गाड़ी

इस कोरोनाकाल में लॉकडाउन से हम इंसान तो परेशान हैं   ही  हमारी गाड़ियां  भी खड़े खड़े

उकता गईं हैं | उन्ही गाड़ियों  की व्यथा कथा को व्यक्त करती एक रोचक कहानी ..

बोलती का नाम गाड़ी

लाक आऊट के लंबे दिन और रातें सन्नाटे में घिरी।
दिल्ली का शानदार मोहल्ला,आदमी कम, कारें ज्यादा। ससुरजी की गाड़ी,सासु जी की, बेटेकी और बहू की अलग अलग। सुबह पिता आफिस चले जाते। बेटा साथ नहीं जा सकता,देर तक सोने की आदत। पिता बड़बड़ाते हुए ड्राइवर के साथ चले जाते। मां बेटे का पक्ष लेती। जवान बेटा है,देर तक सोने दो। बेटा जी देर से उठते, जब तक नाश्ता करते, फैक्ट्री का लंच टाइम हो जाता। माता जी सत्संग में जाती। बहू के पास सैकड़ों काम-पार्लर, जिम जाना और शाम को किटी पार्टी। लाक डाऊन के कारण बाहर निकलना बंद हो गया। दिन भर बरतन, झाड़ू पोंछा। बर्तनों के खड़कने के साथ साथ सास बहू कड़ कड़ करतीं।
सारी कारें आड़ी तिरछी खड़ी हैं। पार्किंग को लेकर अक्सर महाभारत होता रहता है। आजकल सारी गतिविधियों पर विराम लगा है,सो सारी कारें मीटिंग कर रही हैं।
टेरेनो कांख कर बोली-‘हम तो सुस्ता सुस्ता कर थक गए।‘
स्कार्पियो बोली-‘खडे खड़े कितनी धूल जम गयी है।‘
बोलेनो ने कहा-‘हाय,मुझसे तो बदबू आ रही है‘
सबने मुंह सिकोड़ा और स्वीकार किया कि कई दिनों से न नहाने की वजह से ऐसा हुआ। इगनिस ने अपना दुखड़ा रोया-‘कितना अच्छा लगता था,जब मैं नहा धो चमकती हुई मैडम का इंतजार करती थी।
मैडम नीचे उतरकर मुझे स्टार्ट करती। मैं भी बिना आवाज किए चल पड़ती। कितने मुलायम हाथों से स्टीरिंग घुमाती।आह। अब तो कालेज बंद है। वे तो आनलाइन पढ़ा रही है,पर मैं तो खड़ी हूँ।        ‘तभी तुझे परदे के पीछे छिपा दिया गया।सारी गाडियां खी खी करने लगी।
टोयोटा, इनोवा ने अपना ज्ञान बघारा-‘सब मोदिया ने किया है, पेट्रोल बचाने के लिए।‘
‘नही, स्विफ्ट ने बात काटी-‘केजरीवाल ने किया है। प्रदूषण के कारण उसकी खांसी रुक नहीं रही थी। अपनी खांसी के कारण हम पर ज़ुल्म किया।‘
वार्ता दिल्ली में चल रही थी, इसलिए सबके पास राजनीतिक ज्ञान का भंडार था।
लाल रंग की पजेरो अपने को दादा समझती थी,को गुस्सा आ गया। वैसे भी लाल रंग गुस्से का प्रतीक है। दहाड़ कर बोली -‘चुप करो तुम सब,जो मन में आया,बक देती हो।
अच्छा,तुम्हीं बताओ, सर्वज्ञान वाली।
मेरे मालिक गाड़ी में न्युज सुनते हैं,तभी समझ में आया।
पड़ोस का मुल्क चीन है। वहीं बीमारी का वायरस भेजा है।
फोर्ड फियस्टा बोली-‘कोई बीमारी भेजता है। फूल या मिठाई भेजते हैं। इसके कारण हम सबको खड़ी कर दिया गया।‘
सबने हाँ में हाँ मिलाई। हुंडई बोली-‘खडे खड़े बदन पिरा गया।‘
वैगन आर ने कहा-‘मेरे तो टायर ही बैठ गए।‘
बैटरी डाऊन होने की बात सबने स्वीकारी।
लाक आऊट खुलने पर सब हस्पताल जाओगी। मतलब मैकेनिक के पास। यह महामारी छूत से फैलती है। इसीलिए सबको बाहर निकलने से मनाही है। पजेरो ने समझाया।
मारुति अर्टिगा ने कहा-हां,एक लड़का फरारी में जा रहा था, पुलिस ने पकड़ कर उठक बैठक करवाई।‘
‘हाय,बिचारी फरारी,उसकी तो नाक ही कट गई’ मारुति ८०० बोली।
‘अब सरकार की बात नहीं मानोगे तो यही होगा। कहावत है कि ‘सटेला तो मरेला‘
अरे यह तो हम गाड़ियों के लिए है। तनिक दूरी बनाये रखें नहीं तो भिड़न्त हो जायेगी। सबने एक स्वर में कहा।
‘अब यही बात मनुष्यों के लिए है’ पजेरो ने बात खत्म की।
सुबह जब चौकीदार आया, उसे घोर आश्चर्य हुआ, सारी गाड़ियां कतार में एक मीटर के फासले से खड़ी थीं।

 

आशा सिंह

आशा सिंह

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