मन का बोझ

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मन का बोझ

दुनिया से कोई अपने गुनाहों को छुपा सकता है | पर अपने मन से बच कर
कहा जाएगा | सारे गुनाह चाहे वो अनजाने ही क्यों न किये हों मन पर एक बोझ होते हैं
| भूल सुधार ही इस बोझ को उतारने  का
एकमात्र उपाय है 

Motivational hindi story man par bojh


एक किसान अपने अनाज को बैलगाड़ी में लेकर मंडी में बेचने जा रहा था | रास्ते में एक बहुत बड़ा पत्थर पड़ा हुआ था | गाडी आगे नहीं जा सकती थी | किसान ने गाडी से उतर कर पत्थर हटाने की कोशिश की पर वह पत्थर हिला भी नहीं पाया | उसने इधर उधर मदद के लिए नज़र दौड़ाई | वहीँ पास में एक व्यक्ति पेड़ के नीचे सो रहा था | किसान उसके पास गया और उसे जगा कर अपनी समस्या बताई तथा मदद मांगी | वो व्यक्ति तुरंत मदद के लिए तैयार हो गया | 


किसान के साथ वो व्यक्ति वहां पर आया और दोनों मिलकर पत्थर हटाने का प्रयास करने लगे | थोड़ी देर की मेहनत मशक्कत के बाद पत्थर हट गया | किसान ने उस व्यक्ति को बहुत धन्यवाद दिया | और कहा की मुझे ख़ुशी है की आप जैसे सज्जन लोग भी संसार में हैं जो दूसरों की मदद करते हैं | जिस कारण संसार में दया धर्म टिका हुआ है | वहीँ किसान उस व्यक्ति को गालियाँ देने लगा जिसने वहां पत्थर डाला था | उसने कहा की ऐसे लोगों की वजह से ही मानवता खतरे में है | 


थोड़ी देर सुनने के बाद वो व्यक्ति किसान से बोला ,” महाशय , जिस व्यक्ति की आप् प्रशंसा  कर रहे हैं व् जिसे गालियाँ दे रहे हैं वो दोनों व्यक्ति मैं ही हूँ | दरसल मैं चलते – चलते बहुत थक गया था और थोड़ी देर विश्राम करना चाहता था | मुझे पेड़ के नीचे जगह सही लगी | पर वहां एक बड़ा सा पत्थर पड़ा हुआ था | मैं उसे खिसकाने की कोशिश की तो वो लुढकने लगा | क्योंकि इस तरफ ढाल थी | लुढ़कते – लुढ़कते वो यहाँ आ गया | मुझे बहुत दुःख हुआ की किसी भी आने – जाने वाले मुसाफिर को परेशानी हो सकती है | इसलिए मैंने इसे हटाने का प्रयास भी किया | परन्तु यह हटा नहीं | तो मैं जा कर पेड़ के नीचे लेट गया और मेरी आँख लग गयी | 


आप ने जब मुझे पत्थर हटाने में मदद करने को कहा तो जैसे मुझे मुंह मांगी मुराद मिल गयी | इस पत्थर के यहाँ रहने से मेरे मन पर एक बोझ था जो उसको हटा  देने से हट गया | 


दोस्तों , वो व्यक्ति जिसकी भूल की वजह से पत्थर बीच सड़क पर आ गया था | उसके मन पर बोझ था | अक्सर हम सब जब कोई गलत काम जाने या अनजाने करते हैं तो हमारे मन पर बोझ होता है | ये बोझ होना मानव होने की पहचान है | किसी भी तरीके से ये बोझ कम नहीं होता | केवल प्रायश्चित करने से ही यह बोझ हल्का होता है | अत : प्रयास करना चाहिए कि हम कोई ऐसा काम न करें जिससे हमारे मन पर बोझ हो | और अगर कभी अनजाने कोई गलत काम हो जाए तो भूल सुधार कर प्रायश्चित अवश्य कर लेना चाहिए | 


टीम -ABC


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2 COMMENTS

  1. यह कहानी सरल होते हुए भी, बिना बात, संदर्भ को पूरी तरह जाने प्रतिक्रिया करनेवालो पर करारा चोट की है तथा साथ ही बात कहने और प्रतिक्रिया करने के पहले सब्र और सचेत रहने का संदेश दिया है.

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