अंतरराष्ट्रीय वृद्ध जन दिवस परिचर्चा में शामिल कवितायों की लड़ी
अटूट बंधन ने अंतरराष्ट्रीय वृद्ध जन दिवस पर एक परिचर्चा...
चलो चले जड़ों की ओर ; नागेश्वरी राव
वृद्ध अवस्था अपने आप में दुखदायक है|इस स्तर में आजादी, सम्मान, क्षमता, मानसिक, शारीरिक शक्ति का हनन होने लगता है|,जिन वृद्धों का लक्ष केवल परिवार रहा हो जब कटु...
अटूट बंधन अंक -१२ सम्पादकीय -सपनों के चाँद पर पहला कदम
आसान होता है
मन की धरती के चारों ओर
परिक्रमा करने वाले
सपनों के चाँद को
परात भर पानी में उतार कर
मन बहला लेना
पर आसान नहीं होता
सपनों के चाँद पर रखना...
अटूट बंधन अंक -११ सम्पादकीय ….बहुत कुछ है दिल में मगर बेजुबाँ हूँ
बहुत कुछ है दिल में मगर बेजुबाँ हूँ ....
कलरव करते हैं,पंक्षी
रंभाती हैं गाय
दहाड़ते है शेर
मिमियाते हैं मेमने
और
प्रकृति का मन –मयूर भी नृत्य करते हुए
करने लगता है
ओमकार का...
अटूट बंधन अंक -१० सम्पादकीय …भावनात्मक गुलामी भी गुलामी ही है
कुछ खौफनाक जंजीरे
जो दिखती नहीं हैं
पहना दी जाती हैं
अपनों द्वारा इस चतुराई से
कि मासूम कैदी
स्वयं ही स्वीकार कर लेता है बंधन
अंगीकार कर लेता है पराजय
यहाँ तक
कि उसकी...
संगीत की उंचाई
संगीत की धुनों में जो स्वर्ग की ऊँचाइयों तक पहुंची हैं
वह है
एक स्नेहमयी दिल की धडकन