Saturday, April 27, 2024
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Yearly Archives: 2016

अपना -अपना स्वार्थ

  एक  बार एक आदमी अपने छोटे से बालक के साथ एक घने जंगल से जा रहा था!   तभी रास्ते मे उस बालक को प्यास...

“माँ“ … कहीं बस संबोधन बन कर ही न रह जाए

माँ केवल एक भावनात्मक संबोधन ही नहीं है , ना सिर्फ बिना शर्त प्रेम करने की मशीन ....माँ के प्रति कुछ कर्तव्य भी है...

कैंसर

कैंसर बस एक ही शब्द  काफी था सुनने के लिए  अनसुनी ही रह गयी  उसके बाद दी  गयी सारी  हिदायते  पहली दूसरी या तीसरी स्टेज का वर्णन  बस दिखाई देने...

इंतजार

इन्तजार कोई भी करे किसी का भी करे पीड़ादायी और कष्टदायी ही होता है लेकिन बदनसीब होते हैं वो लोग जिनकी जिन्दगी में किसी के इन्तजारका अधिकार नहीं होताक्योंकि...

कुछ हाइकू…….पृथ्वी दिवस पर

(1) धरा दिवस       लगें वृक्ष असंख्य       करें प्रतिज्ञा। (२) माता धरती       करें चिंता इसकी       शिशु समान। (3) कहे समय       रहेगी न धरती       करोगे क्या? (4) हम निर्दयी      ...

चार साधुओं का प्रवचन

एक बार की बात है चार साधू जो आपस में मित्र थे तीर्थ यात्रा कर के लौटे | वो लोगों के साथ अपने ज्ञान...

बाहें

  माता और पिता दोनों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है | जहाँ माँ धरती है जो जीवन की डोर थाम लेती है वही...

“सुशांत सुप्रिय के काव्य संग्रह – इस रूट की सभी लाइनें व्यस्त...

             #  समीक्षा आलेख : " गहरी रात के एकांत की कविताएँ "         ---------------------------------------------------------       ...

शब्द सारांश का भव्य वार्षिकोत्सव एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह

शब्द सारांश का भव्य वार्षिकोत्सव एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह दस अप्रैल रविवार को नगर की प्रसिद्ध साहित्य एवं सामाजिक संस्था शब्द सारांश का द्वितीय वार्षिकोत्सव संपन्न...

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