Friday, April 26, 2024
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Monthly Archives: October 2015

अटूट बंधन अंक -१० सम्पादकीय …भावनात्मक गुलामी भी गुलामी ही है

कुछ खौफनाक जंजीरे जो दिखती नहीं हैं  पहना दी जाती हैं अपनों द्वारा इस चतुराई से कि मासूम कैदी स्वयं ही स्वीकार कर लेता है...

संगीत की उंचाई

संगीत की धुनों में जो स्वर्ग की ऊँचाइयों तक पहुंची हैं वह है एक स्नेहमयी दिल की धडकन 

चलो चले जड़ो की ओर : अशोक परूथी

                                               ...

लघु कथा— ” बुढापा “-कुसुम पालीवाल

                  अरे...दीदी.....तंग करके रखा हुआ है न तो चैन से रहते हैं..... न तो चैन से रहने लायक...

चलो चले जड़ों की ओर : कविता – रश्मि प्रभा

माँ और पिता हमारी जड़ें हैं और उनसे निर्मित रिश्ते गहरी जड़ें जड़ों की मजबूती से हम हैं हमारा ख्याल उनका सिंचन …...

अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर विशेष : चलो चले जड़ों की ओर : वंदना...

जंगल में रहने वाले  मानव ने जिस दौर में आग जलाना सीखा , पत्थरों  को नुकीला कर हथियार बनाना  सीखा , तभी  शायद उसने...

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