Home 2015
Yearly Archives: 2015
अटल रहे सुहाग : सास -बहू और चलनी : लघुकथा : संजय वर्मा
करवाचौथ के दिन पत्नी सज धज के पति का इंतजार कर रही...
अटल रहे सुहाग : मैं आ रहा हूँ…..डॉ भारती वर्मा बौड़ाई
मैं सदा उन अंकल-आंटी को साथ-साथ देखा करती थी। सब्जी लानी हो, डॉक्टर के पास जाना हो, पोस्टऑफिस, बैंक, बाज़ार जाना हो या...
कूड़ा गाड़ी
एक बार की बात है एक यात्री ने एयरपोर्ट जाने के लिए टैक्सी की |
रात का समय था टैक्सी वाला बड़े इत्मीनान से...
खेल के नियम
खेल के नियम पहले से जान लें
तभी आप दूसरों से बेहतर खेल सकते हैं
अनुशासन से सफलता
अनुशासन
लक्ष्य के प्रारंभ व्
अंत के पुल का
मध्य बिंदु है
अटल रहे सुहाग : ,किरण सिंह की कवितायें
करवाचौथ पर विशेष " अटल रहे सुहाग " में आइये आज पढ़ते हैं...
अटल रहे सुहाग : चौथी कड़ी : कहानी—” सरप्राइज “
रिया,,,, ओ,,, रिया,,,,,,
बेटा सारा सामान रख लिया न पूजा का, बेटा सब इकट्ठा करो एक जगह ,,,,, थाली में, ,, तुमको जाना है न...
भावो की ख़ूबसूरती
हर तस्वीर अपूर्ण है
क्योंकि
भावों की ख़ूबसूरती को
कोई तस्वीर
व्यक्त नहीं कर सकती
असली सुन्दरता
हर कोई जिसके चेहरे पर
स्टे और इमानदारी लिखा होता है
वो कितना भी साधारण हो
बेहद खूबसूरत
नज़र आता है
अटल रहे सुहाग : ( लघुकथा -व्रत ) शशि बंसल
" मीनू ! जल्दी से अपने पापा की थाली लगा दो," घर में कदम धरते ही आदेशात्मक स्वर में कहा मृणाल ने।
" पर मां...