चलो चले जड़ों की ओर ; नागेश्वरी राव

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                         वृद्ध अवस्था अपने आप में दुखदायक है|इस स्तर में  आजादी, सम्मान, क्षमता, मानसिक, शारीरिक शक्ति का हनन होने...

अटूट बंधन अंक -१२ सम्पादकीय -सपनों के चाँद पर पहला कदम

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आसान होता है मन की धरती के चारों ओर परिक्रमा करने वाले सपनों के  चाँद को परात भर पानी में उतार कर मन बहला...

अटूट बंधन अंक -११ सम्पादकीय ….बहुत कुछ है दिल में मगर...

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बहुत कुछ है दिल में मगर बेजुबाँ हूँ .... कलरव करते हैं,पंक्षी रंभाती हैं गाय दहाड़ते है शेर मिमियाते हैं मेमने और प्रकृति का मन...

अटूट बंधन अंक -१० सम्पादकीय …भावनात्मक गुलामी भी गुलामी ही...

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कुछ खौफनाक जंजीरे जो दिखती नहीं हैं  पहना दी जाती हैं अपनों द्वारा इस चतुराई से कि मासूम कैदी स्वयं ही स्वीकार कर लेता है...

संगीत की उंचाई

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संगीत की धुनों में जो स्वर्ग की ऊँचाइयों तक पहुंची हैं वह है एक स्नेहमयी दिल की धडकन 

लघु कथा— ” बुढापा “-कुसुम पालीवाल

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                  अरे...दीदी.....तंग करके रखा हुआ है न तो चैन से रहते हैं..... न तो चैन से रहने लायक...

चलो चले जड़ों की ओर : कविता – रश्मि प्रभा

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माँ और पिता हमारी जड़ें हैं और उनसे निर्मित रिश्ते गहरी जड़ें जड़ों की मजबूती से हम हैं हमारा ख्याल उनका सिंचन …...

अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर विशेष : चलो चले जड़ों की...

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जंगल में रहने वाले  मानव ने जिस दौर में आग जलाना सीखा , पत्थरों  को नुकीला कर हथियार बनाना  सीखा , तभी  शायद उसने...

नारी मन पर वंदना बाजपेयी की लघुकथाएं

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                          नारी मन मनोभावों का अथाह सागर है |इनमें से कुछ को...

नाम में क्या रखा है : व्यंग -बीनू भटनागर

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नाम की बड़ी महिमा है, नाम पहचान है, ज़िन्दगी भर साथ रहता है। लोग शर्त तक लगा लेते हैं कि ‘’भई, ऐसा न हुआ या...

डिम्पल गौड़ ‘अनन्या ‘ की लघुकथाएं

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समझौता "आज फिर वही साड़ी ! कितनी बार कहा है तुम्हें..इस साड़ी को मत पहना करो ! तुम्हें समझ नहीं आता क्या !" "यही तो फर्क है एक...