चलो चले जड़ों की ओर ; नागेश्वरी राव
वृद्ध अवस्था अपने आप में दुखदायक है|इस स्तर में आजादी, सम्मान, क्षमता, मानसिक, शारीरिक शक्ति का हनन होने...
अटूट बंधन अंक -१२ सम्पादकीय -सपनों के चाँद पर पहला कदम
आसान होता है
मन की धरती के चारों ओर
परिक्रमा करने वाले
सपनों के चाँद को
परात भर पानी में उतार कर
मन बहला...
अटूट बंधन अंक -११ सम्पादकीय ….बहुत कुछ है दिल में मगर...
बहुत कुछ है दिल में मगर बेजुबाँ हूँ ....
कलरव करते हैं,पंक्षी
रंभाती हैं गाय
दहाड़ते है शेर
मिमियाते हैं मेमने
और
प्रकृति का मन...
अटूट बंधन अंक -१० सम्पादकीय …भावनात्मक गुलामी भी गुलामी ही...
कुछ खौफनाक जंजीरे
जो दिखती नहीं हैं
पहना दी जाती हैं
अपनों द्वारा इस चतुराई से
कि मासूम कैदी
स्वयं ही स्वीकार कर लेता है...
संगीत की उंचाई
संगीत की धुनों में जो स्वर्ग की ऊँचाइयों तक पहुंची हैं
वह है
एक स्नेहमयी दिल की धडकन
लघु कथा— ” बुढापा “-कुसुम पालीवाल
अरे...दीदी.....तंग
करके रखा हुआ है न तो चैन से रहते हैं..... न तो चैन से रहने लायक...
चलो चले जड़ों की ओर : कविता – रश्मि प्रभा
माँ और पिता हमारी जड़ें हैं
और उनसे निर्मित रिश्ते गहरी जड़ें
जड़ों की मजबूती से हम हैं
हमारा ख्याल उनका सिंचन …...
अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर विशेष : चलो चले जड़ों की...
जंगल में रहने वाले मानव ने जिस दौर में आग जलाना सीखा , पत्थरों को नुकीला कर हथियार बनाना सीखा , तभी शायद उसने...
नारी मन पर वंदना बाजपेयी की लघुकथाएं
नारी मन मनोभावों का अथाह सागर है |इनमें से कुछ को...
नाम में क्या रखा है : व्यंग -बीनू भटनागर
नाम की बड़ी महिमा है, नाम पहचान है, ज़िन्दगी भर साथ रहता है। लोग
शर्त तक लगा लेते हैं कि ‘’भई, ऐसा न हुआ या...
डिम्पल गौड़ ‘अनन्या ‘ की लघुकथाएं
समझौता
"आज फिर वही साड़ी ! कितनी
बार कहा है तुम्हें..इस साड़ी को मत पहना करो ! तुम्हें समझ नहीं आता क्या !"
"यही
तो फर्क है एक...