Monthly Archives: September 2016
फीलिंग लॉस्ट : जब लगे सब खत्म हो गया है
आज मैं लिखने जा रही हूँ उन तमाम निराश हताश लोगों के बारे में जो जीवन में किसी मोड़ पर चलते – चलते अचानक...
“अंतर “- अभिव्यक्ति का या भावनाओं का – ( समीक्षा – कहानी संग्रह :...
सही अर्थों में पूछा जाए तो स्वाभाविक लेखन अन्दर की एक बेचैनी है जो कब कहाँ
कैसे एक धारा के रूप में बह निकलेगी ये
लेखक...
ये तिराहा हर औरत के सामने सदा से था है और रहेगा –
" तिराहा "एक ऐसा शब्द जो रहस्यमयी तो है ही सहज ही आकर्षित भी करता है | हम सब अनेक बार अपने जीवन में...
डॉ. रमा द्विवेदी के साहित्य में “भविष्य की नारी कल्पना” – शिल्पी “मंजरी”
“स्त्री विमर्श” एक ज्वलंत विषय के रूप में प्राचीन काल से ही किसी न किसी बहाने, प्रत्यक्ष या परोक्ष परिचर्चा का बिन्दु रहा है-...
हिंदी दिवस पर विशेष – हिंदी जब अंग्रेज हुई
वंदना बाजपेयी
सबसे पहले तो आप सभी को आज हिंदी दिवस की बधाई |पर जैसा की हमारे यहाँ किसी के जन्म पर और जन्म दिवस...
शिक्षक दिवस पर विशेष :मैं जानता था बेटी….( संस्मरण )
डॉ . भारती वर्मा 'बौड़ाई '
ये तब की बात है जब मैं पांचवीं कक्षा में पढ़ती थी। एक सप्ताह में संस्कृत विषय के...
शिक्षक दिवसपर विशेष : गुरू चरण सीखें
बैठ कर हम गुरू चरण सीखे सभी
मान दे कर गुरू को सदा पूजे सभी
ज्ञान की नई विधा सीख लें रोज हम
आज शिक्षक दिवस हम...
पति -पत्नी के बीच सात्विक प्रेम को बढाता है तीज
विवाह की बस एक गाँठ दो अनजान - अपरिचित लोगोंको एक बंधन में बांध देती है जिसमें तन ही नहीं मन और आत्मा भी...