Monthly Archives: April 2017
दीप जलता रहे
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः
बहुत दुःख के साथ सूचित करन पड़ रहा है की अटूट बंधन एवं...
इंटरनेट के द्वारा वैश्विक स्तर पर सामाजिक परिवर्तन का जज्बा उभरा है
- प्रदीप कुमार सिंह,
शैक्षिक एवं वैश्विक चिन्तक
आज हम इंटरनेट तथा सैटेलाइट जैसे आधुनिक संचार
माध्यमों से लैस हैं। संचार तकनीक ने वैश्विक समाज के...
जाने क्यूँ मुझको मेरी माँ मेरी बेटी लगती है !
उषा लाल
जाने क्यूँ मुझको मेरी माँ ...
घूंघट वाली औरत और जींस वाली औरत
आँखें फाड़ – फाड़ कर देखती है
घूंघट वाली औरत
पड़ोस में आकर बसी
जींस पहनने वाली औरत को
याद आ जाते हैं
वो...
अर्थ डे और कविता
अर्थ डे और मैं कविता लिखने की नाकामयाब कोशिश में लगी हूँ | मीडिया
पर धरती को बचाने का शोर है | मैं मन की
धरती...
लेकिन वो बात कहाँ – कहाँ तक सच है ?
दो लोगों की तुलना नहीं हो सकती | जो रास्ता आपके लिए सही है , हो सकता है दूसरे के लिए गलत हो |हर...
रुतबा
रामलाल एक दफ्तर में चपरासी था | उसके दो बेटे थे ।यही उसका सब कुछ थे | अर्धांगिनी तो बीमारी और गरीबी के...
बदलाव किस हद तक ?
रहिमन प्रिति सराहिए, मिले होत रंग दून । ज्यों जरदी हरदी तजै, तजै सफेदी चून
...
समय परिवर्तन
सूखे पेड़ को देख कर
हरे पेड़ ने ये कहा
शांत रहो , धैर्य धरो
मत रोओ
मत चिल्लाओ
बस समय परिवर्तन पर विश्वास करो
बिकते शब्द
शब्द
मीठे /कडवे
बनाओं तो बन जाते
शस्त्र
तीखे बाण /कानों को अप्रिय
आदेश
हौसला ,ढाढंस ऊर्जा बढ़ाते
मौत को टोक कर
रोक देते
उपदेशो से कर देते अमर
शब्दों का पालन
भागदौड़ भरी दुनिया से...