रूचि भल्ला की कवितायेँ
जब मुझे लगता है कि किसी बात पर अपने तरीके से कुछ कहना चाहिए
तो मेरी लेखनी चल जाती है और कोरे कागज़ पर कविता...
दोगलापन (लघुकहानी)
सविता मिश्रा ============="कुछ पुन्य कर्म भी कर लिया करो भाग्यवान, सोसायटी की सारी औरतें कन्या जिमाती है, और तू है कि कोई धर्म कर्म है...
काहे को ब्याही …. ओ बाबुल मेरे
विवाह जन्म -जन्मान्तर का रिश्ता होता है .........पर गरीबी दहेज़...
कोबस -कोबस
महानगरों में रहने वालों की त्रासदी – कंक्रीट के जंगल में ,छोटे – छोटे फ्लैट्स में गुजर बसर करना .यह कहानी ऐसी ही एक महानगरीय...