Tag: वंदना बाजपेयी
सैंटा तक ये सन्देशा
मान्यता है कि क्रिसमस पर सैंटा अपनी छोटी सी स्लेज में बैठ कर रात भर बच्चों को उनके मर्जी के उपहार बाँटते हैं |...
एक टीचर की डायरी – नव समाज को गढ़ते हाथों के...
“वो सवालों के दिन वो जवाबों की रातें” ...जी हाँ, अपना बचपन याद आते ही जो चीजें शुरुआत में ही स्मृतियों के अँधेरे में...
सेल्फ आइसोलेशन के 21 दिन – हम कर लेंगे
हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने घोषणा करी है कि covid-19 महामारी के खतरे से देश को बचाने के लिए 25 मार्च 2020...
Covid-19 : कोरोना पैनिक से बचने के लिए सही सोचें
एक नन्हा सा दिया भले ही वो किसी भी कारण किसी भी उद्देश्य से जलाया जाए पूरे मार्ग का अंधियारा हरता है ...गौतम बुद्ध
आज...
सिंदूर खेला – पति –पत्नी के उलझते –सुलझते रिश्तों की कहानियाँ
सिंदूर खेला
“सिंदूर खेला” रंजना बाजपेयी जी का नया कहानी संग्रह है | इससे पहले उनके दो उपन्यास “अनावरण” और “प्रराब्द्ध और प्रेम” प्रकाशित हो...
सिनीवाली शर्मा रहौ कंत होशियार की समीक्षा
समकालीन कथाकाओं में सिनीवाली शर्मा किसी परिचय की मोहताज नहीं हैl ये बात वो अपनी हर कहानी में सिद्ध करती चलती हैं | उनकी...
गुरु पूर्णिमा : गुरूजी हम बादल तुम चन्द्र
गुरु पूर्णिमा एक ऐसा त्यौहार है | जब हम अपना स्नेह गुरु के प्रति व्यक्त कर सकते हैं | गुरु और शिष्य का अनोखा...
क्या आप हमेशा हमेशा रोते रहते हैं ?
किसी को दुःख हो तकलीफ हो तो कौन नहीं रोता है | अपना दर्द अपनों से बाँट लेने से बेहतर दवा तो कोई है...
वो पहला खत
बचपन में एक गाना अक्सर सुनते थे "लिखे जो खत तुझे वो तेरी याद में हज़ारों रंग के सितारे बन गए " | गाना...
“माँ“ … कहीं बस संबोधन बन कर ही न रह जाए
माँ केवल एक भावनात्मक संबोधन ही नहीं है , ना सिर्फ बिना शर्त प्रेम करने की मशीन ....माँ के प्रति कुछ कर्तव्य भी है...