उर्मिला शुक्ल की कहानी रेशम की डोर
रेशम की डोर में गाँठ बांध कर जोड़ा गया पति -पत्नी का रिश्ता जन्म-जन्मांतर का होता है | सुख के...
उपन्यास अंश – बिन ड्योढ़ी का घर – भाग दो
ऊर्मिला शुक्ल जी का "बिन ड्योढ़ी का घर" एक ऐसा उपन्यास है जिसमें स्त्री के जीवन का हाहाकार सुनाई देता है | साथ ही...
रेगिस्तान में फूल
जीवन के मौसम कब बदल जाएँ कहा नहीं जा सकता | कभी प्रेम की बारिशों से भीगता जीवन शुष्क रेगिस्तान में बदल जाए, पर...
बिन ड्योढ़ी का घर -स्त्री संघर्ष और स्वाभिमान की गाथा
इतनी किताबों पर लिखने के बाद अगर किसी उपन्यास को पढ़ने के बाद भी ये लगे की मैं जो इस पर कहना चाह रही...
खुल के जिए जीवन की तीसरी पारी
आमतौर पर परिवार की धुरी बच्चे होते हैं | माता -पिता की दुनिया उनके जन्म लेने से उनका कैरियर /विवाह हो जाने तक उनके...
“वो फ़ोन कॉल” एक पाठकीय टिप्पणी
कुछ घटनाएँ हमारे जीवन में इस प्रकार घटती हैं कि हमें यह लगने लगता है कि बस ये घटना ना घटी होती तो क्या...
उषाकिरण खान जी का उपन्यास वातभक्षा – स्त्री की शक्ति बन...
पति द्वारा श्रापित अहिल्या वातभक्षा बन राम की प्रतीक्षा करती रहीं | और अंततः राम ने आकर उनका उद्धार किया | ना जाने इस...
जीते जी इलाहाबाद —-ममता कालिया जी के संस्मरणों के साथ ...
यात्रीगण कृपया ध्यान दे .. अब से ठीक कुछ लम्हों बाद हम एक अनोखी यात्रा पर जा रहे हैं | इस यात्रा की पहली...
अंतर्ध्वनि-हमारे समकाल को दर्शाती सुंदर सरस कुंडलियाँ
लय, धुन, मात्रा भाव जो, लिए चले है साथ
दोहा रोला मिल करें, छंद कुंडली नाद
छंद कुंडली नाद, लगे है मीठा प्यारा
सब छंदों के बीच,...
कविता सिंह की कहानी अंतरद्वन्द
जीवन में हम जो चाहते हैं वो हमेशा हमें नहीं मिलता | फिर भी हम अपेक्षाओं का लबादा ओढ़े आगे बढ़ते जाते हैं .....
गईया-मईया- पी. शंभू सिंह जी की कहानी
गाय की तुलना अक्सर स्त्री से की जाती है | साम्यता भी तो कितनी है दोनों में गईया हो या स्त्री .. ...
पद्मश्री उषा किरण खान की कहानी – वो एक नदी
सागर से मिलने को आतुर नदी हरहराती हुई आगे बढ़ती जाती है, बीच में पड़ने वाले खेत खलिहान को समान भाव से अपने स्नेह...
वो फोन कॉल-मानवीय संबंधों के ताने-बाने बुनती कहानियाँ
अटूट बंधन की संपादक ,बेहद सक्रिय, संवेदनशील साहित्यकार वंदना बाजपेयी जी का दूसरा कहानी संग्रह “ वो फोन कॉल” भावना प्रकाशन से आया है।इस...
देह धरे को दंड -वर्जित संबंधों की कहानियाँ
इंसान ने जब जंगल से निकल कर जब सभ्य समाज की स्थापना की तो विवाह परंपरा की भी नीव रखी, ताकि परिवार और समाज...
स्त्रीनामा -भगवती प्रसाद द्विवेदी की स्त्री विषयक कविताएँ
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार, "कविता से मनुष्य के भावों की रक्षा होती है | यह हमारे मनोभावों को उच्छ्वसित करके हमारे अंदर एक...
छतरी
दफ़्तर से मिल नहीं रही छुट्टी वगर्ना मैं /बारिश की एक बूँद न बे-कार जाने दूँ .. अजहर फराग जी के इस शेर में...
वसीयत
बिन ब्याही बेटियाँ, तलकशुदा, परित्यक्ता या विधवा महिलायें सदियों से उस घर पर बोझ समझी गईं जिस के आँगन की मिट्टी में खेल कर...
इत्ती-सी खुशी
रात को जब सब सो जाते हैं तो चाँदनी सबकी आँखों में चाँद पाने का ख्वाब परोस देती है | सुबह उठते ही सब...